दिल्ली में कब है जन्माष्टमी, खत्म हुआ कंफ्यूजन
भाद्रपद कष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देखें तो ये 23 अगस्त को सुबह 8 बजकर 8 मिनट से 24 अगस्त को सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है। कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्रीकृष्ण जयंती नामों से भी पुकारा जाता है। पूरे देश के अतिरिक्त जन्माष्टमी बांग्लादेश के ढाकेश्वरी मंदिर व पाकिस्तान के कराची के स्वामीनारायण मंदिर में भी धूमधाम से मनाई जाती है।
अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र दोनों एक साथ इस बार नहीं बन रहे है व 23 अगस्त की रात 12 बजे से 1 बजे तक के मुहुर्त में अष्टमी तिथि तो है लेकिन रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त को सूर्यादय से पहले 3.45 बजे शुरू होगा व 25 अगस्त को सुबह सवा चार बजे समाप्त हो जाने से 23 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व माना जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा व उपवास रखने वाले भक्तों को जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है। संतान सुख से वंचित भक्तों को इस दिन भगवान की आरधना करने से संतान सुख का योग बनता है। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी जी की पूजा विधिवत मंत्र जाप व आरती कर करनी चाहिए।
इस अवसर पर महाराष्ट्र व गुजरात में दही-हांडी महोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवार कृष्ण की नगरी मथुरा में अभी से रासलीलाओं का आयोजन शुरु हो गया है। बड़ी संख्या में भक्त राधारानी और भगवान कृष्ण की दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
